आज के इस काल में , काल के कपाल में , अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन
“ आज के इस काल में , काल के कपाल में अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन हम तो हैं भारत मां की संतान क्या है कोई इससे अनजान ? टटोल जरा सा अपने मन को फिर क्यों डोल रहा है इंसान स्वार्थ के झूठे लालच में और जाति-धर्म के आंचल में क्यूं कर रहा सब का नुकसान अरे सावधान ! इन चोरों से , बेईमानों से , इस राष्ट्र के गद्दारों से बतला रहे , जो भों-भों से अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन ।। ”