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Showing posts from March, 2019

आज के इस काल में , काल के कपाल में , अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन

“ आज के इस काल में , काल के कपाल में अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन हम तो हैं भारत मां की संतान क्या है कोई  इससे अनजान ? टटोल जरा सा अपने मन को  फिर क्यों डोल रहा है इंसान स्वार्थ के झूठे लालच में और जाति-धर्म के आंचल में क्यूं कर रहा सब का नुकसान अरे सावधान ! इन चोरों से , बेईमानों से ,  इस राष्ट्र के गद्दारों से  बतला रहे , जो भों-भों से  अगड़ा कौन , है पिछड़ा कौन ।। ”

पास बैठो की दिल के अरमान अभी बाकी है

“ पास बैठो की दिल के अरमान अभी बाकी है मेरे ग्लास में , तेरे हिस्से की शराब अभी बाकी है लोटे बिन पेंदी के , हवा का रुख भांफ जाते हैं ले देख मेरी आंखों में , तेरे इश्क की आस अभी बाकी है मेरे दोस्त कहते हैं , बड़ा बावला हूं मैं इश्क की राहों में जरा-सा सावला हूं अरे ! बीमार करके मुझे , कहां सुकूं पाओगे जरा ठहरो ! इस बीमारी का इलाज अभी बाकी है ।। ”

न जाने कितनों में चुनकर लाई थी तुझे

एक दिन टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे , उसमें एक बहु अपने बुड्ढी सास को पीट रही थी । यह घटना कैमरे में कैद हो गई थी ।  पता नहीं इसको देख कर के हमारा मन बड़ा ही व्याकुल हो गया , मैं वहां से उठा तो अनायास ही ये पंक्तियां बनने लगी .... “ न जाने कितनों में चुनकर लाई थी तुझे , बड़ी ही धूमधाम से घर की बहू बनाई थी तुझे । तेरी आंखों में , तेरी मां का प्यार देखा था मेरी आंखें धूमिल का हुई , पल भर में बुढ़िया बनाई मुझे ।। जो हस्र आज मेरी है ,  याद रख ! कल भी तेरी होगी  तेरे आंखों के सामने भी रात अंधेरी होगी चिराग घर में मेरे , जो है जल रहा न आज मेरी है , न कल तेरी होगी ।। ”