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बिना एफ आई आर किसी भी व्यक्ति को थाने पर नहीं बुला सकते
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प्रदेश के सभी बोर्डों के निजी स्कूल नहीं बढ़ा सकेंगे फीस
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स्वयं की तुलना किसी से मत करो
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किसी व्यक्ति से स्वयं की तुलना करना स्वयं के हृदय पर आघात करने जैसा है । अतः कभी भी किसी को देख कर उससे अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए , चाहे वह आप से श्रेष्ठ हो या हीन हो । अपने आपमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम जैसे भी हैं एकदम परफेक्ट है । अपने आप को हमेशा सुबह - शाम - दोपहर , सुबह उठते समय , रात को सोते समय आत्मविश्वास बढ़ाने वाले, मनोबल बढ़ाने वाले , उर्जा बढ़ाने वाले विचारों से स्नान कराते रहना चाहिए और एक बात किसी भी प्रकार का संकोच पुरुषों को शोभा नहीं देता , अतः इसका त्याग करो।
खुद से करें सकारात्मक बातें
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हम सभी को दो आवाजें सुनाई देती हैं एक जो खुद के अंदर से आती है और दूसरी जो बाहरी व्यक्ति आपके बारे में कहते हैं । यदि बाहरी व्यक्ति की आवाज आप को अपेक्षाकृत तेज सुनाई दे रही है , तो समझ जाइए कि आपका खुद पर भरोसा कम है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा खुद से सकारात्मक बातें करते रहना चाहिए। यदि खुद से नकारात्मक बातें करेंगे जैसे ; मैं टाइम पर काम नहीं कर पाता ! मैं सुबह जल्दी नहीं उठ पाता हूं ! या मैं आलसी हूं ! तो यह खुद के आत्मविश्वास पर असर डालेगा । जिसके कारण जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। खुद को प्रोत्साहित करने की आदत भी डालें। इस बात का यकीन रखें कि आपमें , अपनी पसंद का काम करने की बहुत ही क्षमता है ।
काम के दबाव से कैसे बचें
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मेंरे मित्र कुमार आनंद एक बैंक में क्लर्क हैं। वो कहते हैं कि उनके साथ काम करने वाले कई साथी कर्मचारी ऐसे हैं जो अपना काम बड़े ही शांत ढंग से करते हैं जबकि कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जो काम का दबाव थोडा सा भी बढने पर सबसे अजीब रूखा व्यवहार करते हैं। दोस्तों ! काम का दायरा बढने पर मानसिक दबाव का होना तो स्वाभाविक है। लेकिन इस दबाव का बढ़ना या कम होना हमारी कार्यशैली पर निर्भर करती है। हम इस प्रकार के दबाव की स्थिति से निपट सकते हैं ……… जीवन में संतुलन होना है जरूरी : अपने पारिवारिक जीवन और कामकाजी जीवन के बीच एक संतुलन बनाऐ रखने का प्रयास करना चाहिऐ। जिस प्रकार कार्यस्थल पर अपने काम का महत्व देते हैं उसी प्रकार घर पर परिवार के साथ भी समय गुजारना भी महत्वपूर्ण है। ऐसा न हो कि आप कामकाज के दबाव के कारण अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हो जाऐं। इन दोनों के बीच संतुलन न होने के कारण व्यक्ति का stress और भी बढ जाता है। समस्या का समाधान करना : कभी न कभी कार्यस्थल पर ऐसी स्थितियां आ जाती हैं जिससे काम का बोझ बहुत अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति उन जगहों पर